27 Jun 2014

गंदी राजनीति

यदि आपको ज़रा भी अक्ल है और बच्चो के भविष्य की फ़िक्र है तो .... प्रतिकार करे .... विरोध करे....सवाल करे .... शेयर करे .... इस रोमिला थापर महीला का बहिष्कार करे..... ये लोग हमारे बच्चों को जहर दे रहे है...... यह पढ़ाया जा रहा है आपके बच्चों को..... ========================== वैदिक काल में विशिष्ट अतिथियों के लिए गोमांस का परोसा जाना सम्मान सूचक माना जाता था। (कक्षा 6-प्राचीन भारत, पृष्ठ 35, लेखिका- रोमिला थापर) महमूद गजनवी ने मूर्तियों को तोड़ा और इससे वह धार्मिक नेता बन गया। ...(कक्षा 7-मध्यकालीन भारत, पृष्ठ 28) 1857 का स्वतंत्रता संग्राम एक सैनिक विद्रोह था। (कक्षा 8-सामाजिक विज्ञान भाग-1, आधुनिक भारत, पृष्ठ 166 , लेखक-अर्जुन देव, इन्दिरा अर्जुन देव) महावीर 12 वर्षों तक जहां-तहां भटकते रहे। 12 वर्ष की लम्बी यात्रा के दौरान उन्होंने एक बार भी अपने वस्त्र नहीं बदले। 42 वर्ष की आयु में उन्होंने वस्त्र का एकदम त्याग कर दिया। (कक्षा 11, प्राचीन भारत, पृष्ठ 101, लेखक-रामशरण शर्मा) तीर्थंकर, जो अधिकतर मध्य गंगा के मैदान में उत्पन्न हुए और जिन्होंने बिहार में निर्वाण प्राप्त किया, की मिथक कथा जैन सम्प्रदाय की प्राचीनता सिद्ध करने के लिए गढ़ ली गई। (कक्षा 11-प्राचीन भारत, पृष्ठ 101, लेखक-रामशरण शर्मा) जाटों ने, गरीब हो या धनी, जागीरदार हो या किसान, हिन्दू हो या मुसलमान, सबको लूटा। (कक्षा 12 - आधुनिक भारत, पृष्ठ 18-19, विपिन चन्द्र) रणजीत सिंह अपने सिंहासन से उतरकर मुसलमान फकीरों के पैरों की धूल अपनी लम्बी सफेद दाढ़ी से झाड़ता था। (कक्षा 12 -पृष्ठ 20, विपिन चन्द्र) आर्य समाज ने हिन्दुओं, मुसलमानों, पारसियों, सिखों और ईसाइयों के बीच पनप रही राष्ट्रीय एकता को भंग करने का प्रयास किया। (कक्षा 12-आधुनिक भारत, पृष्ठ 183, लेखक-विपिन चन्द्र) तिलक, अरविन्द घोष, विपिनचन्द्र पाल और लाला लाजपतराय जैसे नेता उग्रवादी तथा आतंकवादी थे (कक्षा 12-आधुनिक भारत-विपिन चन्द्र, पृष्ठ 208) 400 वर्ष ईसा पूर्व अयोध्या का कोई अस्तित्व नहीं था। महाभारत और रामायण कल्पित महाकाव्य हैं। (कक्षा 11, पृष्ठ 107, मध्यकालीन इतिहास, आर.एस. शर्मा) वीर पृथ्वीराज चौहान मैदान छोड़कर भाग गया और गद्दार जयचन्द गोरी के खिलाफ युद्धभूमि में लड़ते हुए मारा गया। (कक्षा 11, मध्यकालीन भारत, प्रो. सतीश चन्द्र) औरंगजेब जिन्दा पीर थे। (मध्यकालीन भारत, पृष्ठ 316, लेखक- प्रो. सतीश चन्द्र) राम और कृष्ण का कोई अस्तित्व ही नहीं था। वे केवल काल्पनिक कहानियां हैं। (मध्यकालीन भारत, पृष्ठ 245, रोमिला थापर) — यहाँ जरूर click करें ! http://www.youtube.com/watch?v=BR-lLpzi7JE

सबसे पहले भारत

सबसे पहला हवाई जहाज भारत मे बनाया गया था ! ________________________________________ अगर आज किसी को पूछा जाये के सबसे पहला हवाई जाहाज किसने बनाया? तो ले देके हम सब एक नाम लेते है Write Brothers ने बनाया और उनके नाम से दर्ज है यह अविष्कार| हम बचपन से यह पढ़ते आये है के 17 दिसंबरसन 1903 को अमेरिका के कैरोलिना के समुद्र तट पर Write Brothers ने पहला हवाई जाहाज बना कर उड़ाया जो 120 फिट उड़ा और गिर गया| और उसके बाद फिर आगे हवाई जाहाज की कहानी शुरू होती है| लेकिन पर अभी दस्तावेज़ मिले है और वो यह बताते है के 1903 से कई साल पहले सन 1895 मे हमारे देश के एक बहुत बड़े विमान वैज्ञानिक ने हवाई जाहाज बनाया और मुंबई के चौपाटी के समुद्रतट पर उड़ाया और वो 1500 फिट ऊपर उड़ा और उसके बाद नीचे आया ! जिस भारतीय वैज्ञानिक ने यह करामात की उनका नाम था “शिवकर बापूजी तलपडे” वे मराठी व्यक्ति थे| मुंबई मे एक छोटा सा इलाका है जिसको चिर बाज़ार कहते है, वहाँ उनका जन्म हुआ और पढ़ाई लिखाई की ! एक गुरु के सान्निध्य मे रहके संस्कृत साहित्य का अध्यन किया| अध्यन करते समय उनकी विमान शास्त्र मे रूचि पैदा हो गयी| आपको जानकर हैरानी होगी की भारत मे तो विमान बनाने पर पूरा एक शस्त्र लिखा गया है उसका नाम है विमानशास्त्र ! और हमारे देश मे विमान शास्त्र के जो सबसे बड़े वैज्ञानिक माने जाते है वो है “महर्षि भरद्वाज” | महर्षि भरद्वाज ने विमान शास्त्र की सबसे पहली पुस्तक लिखी, उस पुस्तक के आधार पर फिर सेकड़ो पुस्तकें लिखी गयी| भारत मे जो पुस्तक उपलब्ध है उसमे सबसे पुरानी पुस्तक 1500 साल पुरानी है और महर्षि भरद्वाज तो उसके भी बहुत साल पहले हुए| शिवकर बापूजी तलपडे जी के हाथ मे महर्षि भरद्वाज के विमान शास्त्र की पुस्तक लग गयी और इस पुस्तक को आद्योपांत उन्होंने पड़ा| इस पुस्तक के बारे मे तलपडे जी ने कुछ रोचक बातें कहीं है जैसे – > “इस पुस्तक के आठ अध्याय मे विमान बनाने की तकनिकी का ही वर्णन है” > “आठ अध्याय मे 100 खंड है जिसमे विमान बनाने की टेक्नोलॉजी का वर्णन है” > “महर्षि भरद्वाज ने अपनी पूरी पुस्तक मे विमान बनाने के 500 सिद्धांत लिखे है” एक सिद्धांत (Principle) होता है जिसमे एक इंजन बन जाता है और पूरा विमान बन जाता है, और ऐसे 500 सिद्धांत लिखे है महर्षि भरद्वाज ने !! अर्थात मने 500 तरह के विमान बनाये जा सकते है हर एक सिद्धांत पर| इस पुस्तक के बारे मे तलपडे जी और लिखते है के – > “इन 500 सिद्धांतो के 3000 श्लोक है विमान शास्त्र मे” यह तो (Technology) तकनिकी होती है इसका एक (Process) प्रक्रिया होती है, और हर एक तकनिकी के एक विशेष प्रक्रिया होती है तो महर्षि भरद्वाज ने 32 प्रक्रियाओं का वर्णन किया है| माने 32 तरह से 500 किसम के विमान बनाए जा सकते है मतलब 32 तरीके है 500 तरह के विमान बनाने के; मने एक विमान बनाने के 32 तरीके, 2 विमान बनाने के 32 तरीके; 500 विमान बनाने के 32 तरीके उस पुस्तक ‘विमान शास्त्र’ मे है| 3000 श्लोक है 100 खंड है और 8 अध्याय है| आप सोचिये यह किनता बड़ा ग्रन्थ है! इस ग्रन्थ को शिवकर बापूजी तलपडे जी ने पड़ा अपनी विद्यार्थी जीवन से पढ़ा , और पढ़ पढ़ कर परिक्षण किये, और परिक्षण करते करते 1895 मे वो सफल हो गए और उन्होंने पहला विमान बना लिया और उसको उड़ा कर भी दिखाया| इस परिक्षण को देखने के लिए भारत के बड़े बड़े लोग गए| हमारे देश के उस समय के एक बड़े व्यक्ति हुआ करते थे ‘महादेव गोविन्द रानाडे’ जो अंग्रेजी न्याय व्यवस्था मे जज की हैसियत से काम किया करते थे मुम्बई हाई कोर्ट मे,! तो रानाडे जी गए उसको देखने के लिए| बड़ोदरा के एक बड़े राजा हुआ करते थे ‘गायकोवाड’ नाम के तो वो गए उसको देखने के लिए| ऐसे बहुत से लोगों के सामने और हजारो साधारण लोगों की उपस्थिति मे शिवकर बापूजी तलपडे ने अपना विमान उड़ाया| और हैरानी की बात यह थी जिस विमान को उन्होंने उड़ाया उसमे खुद नही बैठे, बिना चालक के उड़ा दिया उसको| मने उस विमान को उड़ाया होगा पर कण्ट्रोल सिस्टम तलपडे जी के हाथ मे है और विमान हवा मे उड़ रहा है और यह घटना 1895 मे हुआ | जबकि बिना चालक के उड़ने वाला विमान 2 -3 साल पहले अमेरिका ने बनाया है जिसे ड्रोन कहते है और भारत मे सन 1895 मे लगभग 110 साल पहले तलपड़े जी ने ये बना दिया था ! और उस विमान को उड़ाते उड़ाते 1500 फिट तक वो लेके गए फिर उसके बाद उन्होंने उसको उतारा, और बहुत स्वकुशल उतारकर विमान को जमीन पर खड़ा कर दिया| माने वो विमान टुटा नही, उसमे आग लगी नही उसके साथ कोई दुर्घटना हुई नही, वो उड़ा 1500 फिट तक गया फिर निचे कुशलता से उतरा और सारी भीड़ ने तलपडे जी को कंधे पर उठा लिया| महाराजा गायकोवाड जी ने उनके लिए इनाम की घोषणा की, एक जागीर उनके लिए घोषणा कर दी और गोविन्द रानाडे जी जो थे उन्होंने घोषणा की, बड़े बड़े लोगों ने घोषनाये ईनाम की घोषनाये की | तलपडे जी का यह कहना था की मैं ऐसे कई विमान बना सकता हूँ, मुझे पैसे की कुछ जरुरत है, आर्थिक रूप से मेरी अच्छी स्थिति नही है| तो लोगो ने इतना पैसा इकठ्ठा करने की घोषनाये की के आगे उनको कोई जरुरत नही थी लेकिन तभी उनके साथ एक धोखा हुआ| अंग्रेजो की एक कंपनी थी उसका नाम था ‘Ralli Brothers’ वो आयी तलपडे जी के पास और तलपडे जी को कहा यह जो विमान आपने बनाया है इसका ड्राइंग हमें दे दीजिये| तलपडे जी ने कहा की उसका कारण बताइए, तो उन्होंने कहा की हम आपकी मदत करना चाहते है, आपने यह जो अविष्कार किया है इसको सारी दुनिया के सामने लाना चाहते है, आपके पास पैसे की बहुत कमी है, हमारी कंपनी काफी पैसा इस काम मे लगा सकती है, लिहाजा हमारे साथ आप समझोता कर लीजिये, और इस विमान की डिजाईन दे दीजिये| तलपडे जी भोले भाले सीधे साधे आदमी थे तो वो मान गए और कंपनी के साथ उन्होंने एक समझोता कर लिया| उस समझोते मे Ralli Brothers जो कंपनी थी उसने विमान का जो मोडेल था उनसे ले लिया, ड्राइंग ले ली और डिजाईन ले ली; और उसको ले कर यह कंपनी लन्दन चली गयी और लन्दन जाने के बाद उस समझोते को वो कंपनी भूल गयी| और वो ही ड्रइंग और वो डिजाईन फिर अमेरिका पहुँच गयी| फिर अमेरिका मे Write Brothers के हाथ मे आ गयी फिर Write Brothers ने वो विमान बनाके अपने नाम से सारी दुनिया मे रजिस्टर करा लिया| तलपडे जी की गलती क्या थी के उनको चालाकी नही आती थी, ज्ञान तो बहुत था उनके पास| राजीव भाई कहते है के भारत मे सबसे बड़ी समस्या 12-15 साल मे उनको जो समझ मे आयी है के “हमको सब ज्ञान आता है, सब तकनिकी आती है, सब आता है पर चालाकी नही आती; वो एक गाना है न ‘सबकुछ सीखा हमने न सीखी होशियारी ’ यह भारतवासी पर बिलकुल फिट है, और यह अंग्रेजो को अमेरिकिओं को कुछ नही आता सिर्फ चालाकी आती है| उनके पास न ज्ञान है न उनके पास कोई आधार है उनको एक हि चीज आती है चालाकी और चालाकी मे वो नंबर 1 है| किसी का दुनिया मे कुछ भी नया मिले वो चालाकी करके अपने पास ले लो और अपने नाम से उसको प्रकाशित कर दो|” शिवकर बापूजी तलपडे जी के द्वारा 1895 मे बनाया हुअ विमान सारी दुनिया के सामने अब यह घोषित करता है के विमान सबसे पहले अमेरिकी Write Brothers ने बनाया और 1903 मे 17 दिसम्बर को उड़ाया पर इससे 8 साल पहले भारत मे विमान बन जुका था और देश के सामने वो दिखाया जा जुका था| अब हमें इस बात के लिए लड़ाई करनी है अमेरिकिओं से और यूरोपियन लोगों से के यह तो हमारे नाम ही दर्ज होना चाहिए और Ralli Brothers कंपनी ने जो बैमानी और बदमाशी की थी समझोते के बाद उसका उस कंपनी को हरजाना देना चाहिए क्योकि समझोता करने के बाद बैमानी की थी उन्होंने| राजीव भाई आगे कहते है Ralli Brothers कंपनी से धोखा खाने के कुछ दिन बाद तलपडे जी की मृत्यु हो गयी और उनकी मृत्यु के बाद सारी कहानी ख़तम हो गयी| उनकी तो मृत्यु के बारे मे भी शंका है के उनकी हत्या की गयी और दर्ज कर दिया गया के उनकी मृत्यु हो गयी; और ऐसे व्यक्ति की हत्या करना बहुत स्वभाबिक है के जिसका नाम दुनिया मे इतना बड़ा अविष्कार होने की संभावना हो| तो अगर हम फिर उस पुराने दस्तावेज खोले ढूंढें उस फाइल को, फिर से देखें तो पता चल जायेगा और दूध का दूध और पानी का पनी सारा सच दुनिया के सामने आ जायेगा| आपने पूरी post पढ़ी बहुत बहुत धन्यवाद ! यहाँ जरूर click कर देखें ! https://www.youtube.com/watch?v=tiynW4opf5c इसे अधिक से अधिक share कर हर भारत वासी तक पहुंचाये ! ताकि सब भारतीय होने पर गर्व कर सकें !! वन्देमातरम ! अमर बलिदानी राजीव दीक्षित जी की जय ! First Aeroplane of The World Was invented in INDIA By Rajiv Dixit www.youtube.com Every INDIAN MUST WATCH.The Story of First Aeroplane Which was Made by An INDIAN.and How Britishers Stole Aeroplane concept from Bhar

शककर विरूद्ध गुड

गुड़ स्वास्थ के लिए अमृत है। चीनी को सफेद ज़हर कहा जाता है। जबकि गुड़ स्वास्थ के लिए अमृत है। क्योंकि गुड़ खाने के बाद वह शरीर में क्षार पैदा करता है जो हमारे पाचन को अच्छा बनाता है (इसलिए बागभट्टजी ने खाना खाने के बाद थोड़ा सा गुड़ खाने की सलाह दी है)। जबकि चीनी अम्ल (Acid) पैदा करती है जो शरीर के लिए हानिकारक है। गुड़ को पचाने में शरीर को यदि 100 केलोरी उर्जा लगती है तो चीनी को पचाने में 500 केलोरी खर्च होती है। गुड़ में कैल्शियम के साथ-साथ फोस्फोरस भी होता है। जो शरीर के लिए बहुत अच्छा माना जाता है और हड्डियों को बनाने में सहायक होता है। जबकि चीनी को बनाने की पक्रिया में इतना अधिक तापमान होता है कि फोस्फोरस जल जाता है इसलिए अच्छी सेहत के लिए गुड़ का उपयोग करें। चीनी, कैँडी और च्युइँगगम का प्रयोग बंद करो और यदि मीठा खाना ही है तो गुड़ खाओ! जानिए चीनी का प्रयोग कैसे हानिकारक है और गुड़ किस प्रकार लाभदायक है! पढ़िए और SHARE करे! चीनी बनाने की प्रक्रिया में गन्ने के रस में मौजूद फ़ासफ़ारस खत्म हो जाता है ये कफ़ को संतुलित करने के लिये जरूरी है, चीनी जब हमारे शरीर में जाकर जब पचती है तो इससे अंत में अमल(एसिड) बनता है और जब गुड पचता है तो श्रार बनता है जो अमल को खत्म करता है पर चीनी खाने से अमल(एसिड) खत्म होने की जगह बढ जाता है और रक्त में मिलने लगता है और इससे अनेकों वात रोग पैदा होते है चीनी को पचाने के लिये बहुत समय लगता है पर गुड आसानी से पच जाता है और बाकी खाई हुई चीजों को भी बचा देता है 1- चीनी मिलें हमेशा घाटे में रहती हैं। चीनी बनाना एक मँहगी प्रक्रिया है और हजारों करोड़ की सब्सिडी और चीनी के ऊँचे दामों के बावजूद किसानों को छह छह महीनों तक उनके उत्पादन का मूल्य नहीं मिलता है! 2-चीनी के उत्पादन से रोजगार कम होता है वहीं गुड़ के उत्पादन से भारत के तीन लाख से कहीं अधिक गाँवों में करोड़ों लोगों को रोजगार मिल सकता है। 3- चीनी के प्रयोग से डायबिटीज, हाइपोग्लाइसेमिया जैसे घातक रोग होते हैं! 4-चीनी चूँकि कार्बोहाइड्रेट होता है इसलिए यह सीधे रक्त में मिलकर उच्च रक्तचाप जैसी अनेक बीमारियों को जन्म देता है जिससे हर्ट अटेक का खतरा बढ़ जाता है! 5-चीनी का प्रयोग आपको मानसिक रूप से भी बीमार बनाता है। यहाँ पढ़ेंwww.macrobiotics.co.uk/sugar.htm 6-गुड़ में फाइबर और अन्य पौष्टिक तत्व बहुत अधिक होते हैं जो शरीर के बहुत ही लाभदायक है! 7-गुड़ में लौह तत्व और अन्य खनिज तत्व भी पर्याप्त मात्रा में होते हैं! 8- गुड़ भोजन के पाचन में अति सहायक है। खाने के बाद कम से कम बीस ग्राम गुड़ अवश्य खाएँ। आपको कभी बीमारी नहीं होगी! 9-च्युइँगगम और कैँडी खाने से दाँत खराब होते हैं! 10-गुड़ के निर्माण की प्रक्रिया आसान है और सस्ती है जिससे देश को हजारों करोड़ रुपए का लाभ होगा और किसान सशक्त बनेगा! 11- गुड को दूध में मिलाके पीना वर्जित है इसलिये पहले गुड खाकर फ़िर दूध पिये 12- गुड को दही में मिलाके खाया जा सकता है बिहार में खासकर इसे खाया जाता है जो काफ़ी स्वादिष्ट लगता है 13- गुड की गज्ज्क, रेवडी आदि भी अच्छी होती है अंग्रेजों को भारत से चीनी की आपूर्ति होती थी | और भारत के लोग चीनी के बजाय गुड (Jaggary) बनाना पसंद करते थे और गन्ना चीनी मीलों को नहीं देते थे | तो अंग्रेजों ने गन्ना उत्पादक इलाकों में गुड बनाने पर प्रतिबन्ध लगा दिया और गुड बनाना गैरकानूनी घोषित कर दिया था और वो कानून आज भी इस देश में चल रहा है अधिक जानकारी के लिए निचे दिए गए लिंक पे जाके विडियो देखे: http://www.youtube.com/watch?v=oiRf-LLSq0U

18 Jun 2014

आर्थराइटिस ठीक हो जाती है

आर्थराइटिस और सभी तरह के joint pain का इलाज ! जो मित्र पूरी post नहीं पढ़ सकते यहाँ click कर देखें ! http://www.youtube.com/watch?v=B0RX7alIatw १. दोनों तरह के आर्थराइटिस (Osteoarthritis और Rheumatoid arthritis) मे आप एक दावा का प्रयोग करे जिसका नाम है चुना, वोही चुना जो आप पान मे खाते हो | गेहूं के दाने के बराबर चुना रोज सुबह खाली पेट एक कप दही मे मिलाके खाना चाहिए, नही तो दाल मे मिलाके, नही तो पानी मे मिलाके पीना लगातार तिन महीने तक, तो आर्थराइटिस ठीक हो जाती है | ध्यान रहे पानी पिने के समय हमेशा बैठ के पीना चाहिए नही तो ठीक होने मे समय लगेगा | अगर आपके हात या पैर के हड्डी मे खट खट आवाज आती हो तो वो भी चुने से ठीक हो जायेगा | २. दोनों तरह के आर्थराइटिस के लिए और एक अछि दावा है मेथी का दाना | एक छोटा चम्मच मेथी का दाना एक काच की गिलास मे गरम पानी लेके उसमे डालना, फिर उसको रात भर भिगोके रखना | सबेरे उठके पानी सिप सिप करके पीना और मेथी का दाना चबाके खाना | तिन महीने तक लेने से आर्थराइटिस ठीक हो जाती है | ध्यान रहे पानी पिने के समय हमेशा बैठ के पीना चाहिए नही तो ठीक होने मे समय लगेगा | ३. ऐसे आर्थराइटिस के मरीज जो पूरी तरह बिस्तर पकड़ जुके है, चाल्लिस साल से तकलीफ है या तिस साल से तकलीफ है, कोई कहेगा बीस साल से तकलीफ है, और ऐसी हालत हो सकती है के वे दो कदम भी न चल सके, हात भी नही हिला सकते है, लेटे रहते है बेड पे, करवट भी नही बदल सकते ऐसी अवस्था हो गयी है .... ऐसे रोगियों के लिए एक बहुत अछि औषधि है जो इसीके लिए काम आती है | एक पेड़ होता है उसे हिंदी में हरसिंगार कहते है, संस्कृत पे पारिजात कहते है, बंगला में शिउली कहते है , उस पेड़ पर छोटे छोटे सफ़ेद फूल आते है, और फुल की डंडी नारंगी रंग की होती है, और उसमे खुसबू बहुत आती है, रात को फूल खिलते है और सुबह जमीन में गिर जाते है । इस पेड़ के छह सात पत्ते तोड़ के पत्थर में पिस के चटनी बनाइये और एक ग्लास पानी में इतना गरम करो के पानी आधा हो जाये फिर इसको ठंडा करके रोज सुबह खाली पेट पिलाना है जिसको भी बीस तिस चाल्लिस साल पुराना आर्थराइटिस हो या जोड़ो का दर्द हो | यह उन सबके लिए अमृत की तरह काम करेगा | इसको तिन महिना लगातार देना है अगर पूरी तरह ठीक नही हुआ तो फिर 10-15 दिन का गैप देके फिर से तिन महीने देना है | अधिकतम केसेस मे जादा से जादा एक से देड महीने मे रोगी ठीक हो जाते है | इसको हर रोज नया बनाके पीना है | ये औषधि Exclusive है और बहुत strong औषधि है इसलिए अकेली हि देना चाहिये, इसके साथ कोई भी दूसरी दावा न दे नही तो तकलीफ होगी | ध्यान रहे पानी पिने के समय हमेशा बैठ के पीना चाहिए नही तो ठीक होने मे समय लगेगा | बुखार का दर्द का उपचार : डेंगू जैसे बुखार मे शरीर मे बहुत दर्द होता है .. बुखार चला जाता है पर कई बार दर्द नही जाता | ऐसे केसेस मे आप हरसिंगार की पत्ते की काड़ा इस्तेमाल करे, 10-15 दिन मे ठीक हो जायेगा | घुटने मत बदलिए : RA Factor जिनका प्रोब्लेमाटिक है और डॉक्टर कहता है के इसके ठीक होने का कोई चांस नही है | कई बार कार्टिलेज पूरी तरह से ख़तम हो जाती है और डॉक्टर कहते है के अब कोई चांस नही है Knee Joints आपको replace करने हि पड़ेंगे, Hip joints आपको replace करने हि पड़ेंगे | तो जिनके घुटने निकाल के नया लगाने की नौबत आ गयी हो, Hip joints निकालके नया लगाना पड़ रहा हो उन सबके लिए यह औषधि है जिसका नाम है हरसिंगार का काड़ा | राजीव भाई का कहना है के आप कभी भी Knee Joints को और Hip joints को replace मत कराइए | चाहे कितना भी अच्छा डॉक्टर आये और कितना भी बड़ा गारंटी दे पर कभी भी मत करिये | भगवान की जो बनाई हुई है आपको कोई भी दोबारा बनाके नही दे सकता | आपके पास जो है उसिको repair करके काम चलाइए | हमारे देश के प्रधानमंत्री श्री अटलजी ने यह प्रयास किया था, Knee Joints का replace हुआ अमेरिका के एक बहुत बड़े डॉक्टर ने किया पर आज उनकी तकलीफ पहले से जादा है | पहले तो थोडा बहुत चल लेते थे अब चलना बिलकुल बंध हो गया है कुर्सी पे ले जाना पड़ता है | आप सोचिये जब प्रधानमंत्री के साथ यह हो सकता है आप तो आम आदमी है | अधिक जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करें : http://www.youtube.com/watch?v=B0RX7alIatw

सबसे पहला हवाई जहाज भारत मे बनाया गया था ! ________________________________________ अगर आज किसी को पूछा जाये के सबसे पहला हवाई जाहाज किसने बनाया? तो ले देके हम सब एक नाम लेते है Write Brothers ने बनाया और उनके नाम से दर्ज है यह अविष्कार| हम बचपन से यह पढ़ते आये है के 17 दिसंबरसन 1903 को अमेरिका के कैरोलिना के समुद्र तट पर Write Brothers ने पहला हवाई जाहाज बना कर उड़ाया जो 120 फिट उड़ा और गिर गया| और उसके बाद फिर आगे हवाई जाहाज की कहानी शुरू होती है| लेकिन पर अभी दस्तावेज़ मिले है और वो यह बताते है के 1903 से कई साल पहले सन 1895 मे हमारे देश के एक बहुत बड़े विमान वैज्ञानिक ने हवाई जाहाज बनाया और मुंबई के चौपाटी के समुद्रतट पर उड़ाया और वो 1500 फिट ऊपर उड़ा और उसके बाद नीचे आया ! जिस भारतीय वैज्ञानिक ने यह करामात की उनका नाम था “शिवकर बापूजी तलपडे” वे मराठी व्यक्ति थे| मुंबई मे एक छोटा सा इलाका है जिसको चिर बाज़ार कहते है, वहाँ उनका जन्म हुआ और पढ़ाई लिखाई की ! एक गुरु के सान्निध्य मे रहके संस्कृत साहित्य का अध्यन किया| अध्यन करते समय उनकी विमान शास्त्र मे रूचि पैदा हो गयी| आपको जानकर हैरानी होगी की भारत मे तो विमान बनाने पर पूरा एक शस्त्र लिखा गया है उसका नाम है विमानशास्त्र ! और हमारे देश मे विमान शास्त्र के जो सबसे बड़े वैज्ञानिक माने जाते है वो है “महर्षि भरद्वाज” | महर्षि भरद्वाज ने विमान शास्त्र की सबसे पहली पुस्तक लिखी, उस पुस्तक के आधार पर फिर सेकड़ो पुस्तकें लिखी गयी| भारत मे जो पुस्तक उपलब्ध है उसमे सबसे पुरानी पुस्तक 1500 साल पुरानी है और महर्षि भरद्वाज तो उसके भी बहुत साल पहले हुए| शिवकर बापूजी तलपडे जी के हाथ मे महर्षि भरद्वाज के विमान शास्त्र की पुस्तक लग गयी और इस पुस्तक को आद्योपांत उन्होंने पड़ा| इस पुस्तक के बारे मे तलपडे जी ने कुछ रोचक बातें कहीं है जैसे – > “इस पुस्तक के आठ अध्याय मे विमान बनाने की तकनिकी का ही वर्णन है” > “आठ अध्याय मे 100 खंड है जिसमे विमान बनाने की टेक्नोलॉजी का वर्णन है” > “महर्षि भरद्वाज ने अपनी पूरी पुस्तक मे विमान बनाने के 500 सिद्धांत लिखे है” एक सिद्धांत (Principle) होता है जिसमे एक इंजन बन जाता है और पूरा विमान बन जाता है, और ऐसे 500 सिद्धांत लिखे है महर्षि भरद्वाज ने !! अर्थात मने 500 तरह के विमान बनाये जा सकते है हर एक सिद्धांत पर| इस पुस्तक के बारे मे तलपडे जी और लिखते है के – > “इन 500 सिद्धांतो के 3000 श्लोक है विमान शास्त्र मे” यह तो (Technology) तकनिकी होती है इसका एक (Process) प्रक्रिया होती है, और हर एक तकनिकी के एक विशेष प्रक्रिया होती है तो महर्षि भरद्वाज ने 32 प्रक्रियाओं का वर्णन किया है| माने 32 तरह से 500 किसम के विमान बनाए जा सकते है मतलब 32 तरीके है 500 तरह के विमान बनाने के; मने एक विमान बनाने के 32 तरीके, 2 विमान बनाने के 32 तरीके; 500 विमान बनाने के 32 तरीके उस पुस्तक ‘विमान शास्त्र’ मे है| 3000 श्लोक है 100 खंड है और 8 अध्याय है| आप सोचिये यह किनता बड़ा ग्रन्थ है! इस ग्रन्थ को शिवकर बापूजी तलपडे जी ने पड़ा अपनी विद्यार्थी जीवन से पढ़ा , और पढ़ पढ़ कर परिक्षण किये, और परिक्षण करते करते 1895 मे वो सफल हो गए और उन्होंने पहला विमान बना लिया और उसको उड़ा कर भी दिखाया| इस परिक्षण को देखने के लिए भारत के बड़े बड़े लोग गए| हमारे देश के उस समय के एक बड़े व्यक्ति हुआ करते थे ‘महादेव गोविन्द रानाडे’ जो अंग्रेजी न्याय व्यवस्था मे जज की हैसियत से काम किया करते थे मुम्बई हाई कोर्ट मे,! तो रानाडे जी गए उसको देखने के लिए| बड़ोदरा के एक बड़े राजा हुआ करते थे ‘गायकोवाड’ नाम के तो वो गए उसको देखने के लिए| ऐसे बहुत से लोगों के सामने और हजारो साधारण लोगों की उपस्थिति मे शिवकर बापूजी तलपडे ने अपना विमान उड़ाया| और हैरानी की बात यह थी जिस विमान को उन्होंने उड़ाया उसमे खुद नही बैठे, बिना चालक के उड़ा दिया उसको| मने उस विमान को उड़ाया होगा पर कण्ट्रोल सिस्टम तलपडे जी के हाथ मे है और विमान हवा मे उड़ रहा है और यह घटना 1895 मे हुआ | जबकि बिना चालक के उड़ने वाला विमान 2 -3 साल पहले अमेरिका ने बनाया है जिसे ड्रोन कहते है और भारत मे सन 1895 मे लगभग 110 साल पहले तलपड़े जी ने ये बना दिया था ! और उस विमान को उड़ाते उड़ाते 1500 फिट तक वो लेके गए फिर उसके बाद उन्होंने उसको उतारा, और बहुत स्वकुशल उतारकर विमान को जमीन पर खड़ा कर दिया| माने वो विमान टुटा नही, उसमे आग लगी नही उसके साथ कोई दुर्घटना हुई नही, वो उड़ा 1500 फिट तक गया फिर निचे कुशलता से उतरा और सारी भीड़ ने तलपडे जी को कंधे पर उठा लिया| महाराजा गायकोवाड जी ने उनके लिए इनाम की घोषणा की, एक जागीर उनके लिए घोषणा कर दी और गोविन्द रानाडे जी जो थे उन्होंने घोषणा की, बड़े बड़े लोगों ने घोषनाये ईनाम की घोषनाये की | तलपडे जी का यह कहना था की मैं ऐसे कई विमान बना सकता हूँ, मुझे पैसे की कुछ जरुरत है, आर्थिक रूप से मेरी अच्छी स्थिति नही है| तो लोगो ने इतना पैसा इकठ्ठा करने की घोषनाये की के आगे उनको कोई जरुरत नही थी लेकिन तभी उनके साथ एक धोखा हुआ| अंग्रेजो की एक कंपनी थी उसका नाम था ‘Ralli Brothers’ वो आयी तलपडे जी के पास और तलपडे जी को कहा यह जो विमान आपने बनाया है इसका ड्राइंग हमें दे दीजिये| तलपडे जी ने कहा की उसका कारण बताइए, तो उन्होंने कहा की हम आपकी मदत करना चाहते है, आपने यह जो अविष्कार किया है इसको सारी दुनिया के सामने लाना चाहते है, आपके पास पैसे की बहुत कमी है, हमारी कंपनी काफी पैसा इस काम मे लगा सकती है, लिहाजा हमारे साथ आप समझोता कर लीजिये, और इस विमान की डिजाईन दे दीजिये| तलपडे जी भोले भाले सीधे साधे आदमी थे तो वो मान गए और कंपनी के साथ उन्होंने एक समझोता कर लिया| उस समझोते मे Ralli Brothers जो कंपनी थी उसने विमान का जो मोडेल था उनसे ले लिया, ड्राइंग ले ली और डिजाईन ले ली; और उसको ले कर यह कंपनी लन्दन चली गयी और लन्दन जाने के बाद उस समझोते को वो कंपनी भूल गयी| और वो ही ड्रइंग और वो डिजाईन फिर अमेरिका पहुँच गयी| फिर अमेरिका मे Write Brothers के हाथ मे आ गयी फिर Write Brothers ने वो विमान बनाके अपने नाम से सारी दुनिया मे रजिस्टर करा लिया| तलपडे जी की गलती क्या थी के उनको चालाकी नही आती थी, ज्ञान तो बहुत था उनके पास| राजीव भाई कहते है के भारत मे सबसे बड़ी समस्या 12-15 साल मे उनको जो समझ मे आयी है के “हमको सब ज्ञान आता है, सब तकनिकी आती है, सब आता है पर चालाकी नही आती; वो एक गाना है न ‘सबकुछ सीखा हमने न सीखी होशियारी ’ यह भारतवासी पर बिलकुल फिट है, और यह अंग्रेजो को अमेरिकिओं को कुछ नही आता सिर्फ चालाकी आती है| उनके पास न ज्ञान है न उनके पास कोई आधार है उनको एक हि चीज आती है चालाकी और चालाकी मे वो नंबर 1 है| किसी का दुनिया मे कुछ भी नया मिले वो चालाकी करके अपने पास ले लो और अपने नाम से उसको प्रकाशित कर दो|” शिवकर बापूजी तलपडे जी के द्वारा 1895 मे बनाया हुअ विमान सारी दुनिया के सामने अब यह घोषित करता है के विमान सबसे पहले अमेरिकी Write Brothers ने बनाया और 1903 मे 17 दिसम्बर को उड़ाया पर इससे 8 साल पहले भारत मे विमान बन जुका था और देश के सामने वो दिखाया जा जुका था| अब हमें इस बात के लिए लड़ाई करनी है अमेरिकिओं से और यूरोपियन लोगों से के यह तो हमारे नाम ही दर्ज होना चाहिए और Ralli Brothers कंपनी ने जो बैमानी और बदमाशी की थी समझोते के बाद उसका उस कंपनी को हरजाना देना चाहिए क्योकि समझोता करने के बाद बैमानी की थी उन्होंने| राजीव भाई आगे कहते है Ralli Brothers कंपनी से धोखा खाने के कुछ दिन बाद तलपडे जी की मृत्यु हो गयी और उनकी मृत्यु के बाद सारी कहानी ख़तम हो गयी| उनकी तो मृत्यु के बारे मे भी शंका है के उनकी हत्या की गयी और दर्ज कर दिया गया के उनकी मृत्यु हो गयी; और ऐसे व्यक्ति की हत्या करना बहुत स्वभाबिक है के जिसका नाम दुनिया मे इतना बड़ा अविष्कार होने की संभावना हो| तो अगर हम फिर उस पुराने दस्तावेज खोले ढूंढें उस फाइल को, फिर से देखें तो पता चल जायेगा और दूध का दूध और पानी का पनी सारा सच दुनिया के सामने आ जायेगा| आपने पूरी post पढ़ी बहुत बहुत धन्यवाद ! यहाँ जरूर click कर देखें ! https://www.youtube.com/watch?v=tiynW4opf5c इसे अधिक से अधिक share कर हर भारत वासी तक पहुंचाये ! ताकि सब भारतीय होने पर गर्व कर सकें !! वन्देमातरम ! अमर बलिदानी राजीव दीक्षित जी की जय ! First Aeroplane of The World Was invented in INDIA By Rajiv Dixit www.youtube.com Every INDIAN MUST WATCH.The Story of First Aeroplane Which was Made by An INDIAN.and How Britishers Stole Aeroplane concept from Bhar

समुद्री आओडीन युक्त नमक

समुद्री आओडीन युक्त नमक कभी ना खाये ! पूरी post जरूर पढ़ें ! _____________________________________________________ पहले तो आप ये जान लीजिये कि नमक के मुख्य कितने प्रकार होते हैं !! एक होता है समुद्री नमक दूसरा होता है सेंधा नमक (rock slat) !! ये जो समुद्री नमक है आयुर्वेद के अनुसार ये तो अपने आप मे ही बहुत खतरनाक है ! आज से कुछ वर्ष पहले कोई भी समुद्री नमक नहीं खाता था सब सेंधा नमक ही खाते थे ! मात्र 2,3 रूपये किलो मे सब जगह मिल जाया करता था ! फिर अचानक से ऐसा क्या हुआ की लोग आओडीन युक्त समुद्री नमक खाने लगे ?? हुआ ये कि जब ग्लोबलाईसेशन के बाद बहुत सी विदेशी कंपनियो(अनपूर्णा,कैपटन कुक ) ने नमक बेचना शुरू किया तब ये सारा खेल शुरू हुआ ! अब समझिए खेल क्या था ?? खेल ये था कि विदेशी कंपनियो को नमक बेचना है और बहुत मोटा लाभ कमाना है और लूट मचानी है तो पूरे भारत मे एक नई बात फैलाई गई कि आओडीन युक्त नामक खाओ ,आओडीन युक्त नमक खाओ ! आप सबको आओडीन की कमी हो गई है ! ये सेहत के लिए बहुत अच्छा है आदि आदि बातें पूरे देश मे प्रायोजित ढंग से फैलाई गई !! और जो नमक किसी जमाने मे 2 से 3 रूपये किलो मे बिकता था ! उसकी जगह आओडीन नमक के नाम पर सीधा भाव पहुँच गया 8 रूपये प्रति किलो ! और आज तो 12 रूपये को भी पार कर गया है ! एक बार राजीव भाई ने किसी MP के माध्यम से संसद मे सवाल पुछवाया कि पूरे देश मे आओडीन की कमी से जितनी बीमारियाँ आती है जैसे घेंघा ! उसके मरीज कितने है ? पूरे देश मे ! तो सरकार की तरफ से उत्तर आया कि भारत मे कुल जितनी बीमारियो के कुल मरीज है उसमे से सिर्फ 0.3 % घेंघा के मरीज है ! और वो भी कहाँ है भारत मे पर्वतीय इलाके मे जहां भारत की सबसे कम आबादी रहती है ! ऐसे ही राजीव भाई ने एक बार सरकार को पत्र लिखा की मुझे उन मरीजो की सूची चाहिए जिनको आओडीन की कमी से घेंगा हुआ ! सूची कभी नहीं आई !! अब जो सबसे अजीब बात है वो ये कि आओडीन हर नमक मे होता है बिना आओडीन का कोई नमक नहीं होता है !! अब आप कहेंगे फिर इस समुद्री नमक से क्या परेशानी है ?? एक तो जैसा हमने ऊपर बताया कि आयुर्वेद के अनुसार समुद्री नमक अपने आप मे ही बहुत खतरनाक है इसके अतिरिक्त कंपनियाँ इसमे अतिरिक्त आओडीन डाल रही है !! अब आओडीन भी दो तरह का होता है एक तो भगवान का बनाया हुआ जो पहले से नमक मे होता है ! दूसरा होता है industrial iodine ! ये बहुत ही खतरनाक है ! तो समुद्री नमक जो पहले से ही खतरनाक है उसमे कंपनिया अतिरिक्त industrial iodine डाल को पूरे देश को बेच रही है ! जिससे बहुत सी गंभीर बीमरिया हम लोगो को आ रही है ! ये नमक मानव द्वारा फ़ैक्टरियों मे निर्मित है ! ।आम तौर से उपयोग मे लाये जाने वाले समुद्री नमक से उच्च रक्तचाप (high BP ) ,डाइबिटीज़,आदि गंभीर बीमारियो का भी कारण बनता है । इसका एक कारण ये है कि ये नमक अम्लीय (acidic) होता है ! जिससे रक्त अम्लता बढ़ती है और रक्त अमलता बढ्ने से ये सब 48 रोग आते है ! ये नमक पानी कभी पूरी तरह नहीं घुलता हीरे (diamond ) की तरह चमकता रहता है इसी प्रकार शरीर के अंदर जाकर भी नहीं घुलता और अंत इसी प्रकार किडनी से भी नहीं निकल पाता और पथरी का भी कारण बनता है ! और ये नमक नपुंसकता और लकवा (paralysis ) का बहुत बड़ा कारण है ! श्री राजीव बताते है कि उन्होने कितने मरीज जो नपुंसक थे उनको समुद्री नमक छोड़ने को कहा और सेंधा नमक का प्रयोग करने को कहा मात्र 1 वर्ष मे उनकी समस्या का हल हो गया ! ऐसे ही एक बार राजीव भाई के गुरु थे जिनका नाम था प्रोफेसर धर्मपाल जी ! उनको एक बार लकवे (paralysis) का अटैक आ गया !! उनकी आवाज तक चली गई और हाथ पैर एक जगह रुक गए उनके बाकी शिष्य धर्मपाल जी को अस्पताल ले गए वहाँ डाक्टरों से भी कुछ नहीं हुआ तो डाक्टरों उनके हाथ पैर बांध दिये ! राजीव भाई को जैसे ही खबर मिली राजीव वहाँ पहुंचे और उनको वहाँ से उठा कर घर ले आए ! और उनकी दो होमेओपेथी दवाइयाँ देना शुरू की ! मात्र 3 दिन मे उनकी आवाज वापिस आ गई ! और एक सप्ताह बाद वो ऐसे दिखने लगे कि मानो कभी अटैक ही ना आया हो ! तो राजीव भाई बताते है कि मैंने होमेओपेथी मे उस दवा को दिया जो सेंधा नमक ना खाने से शरीर मे आने वाली कमियो को पूरा करती है !! इसकी जगह अगर सेंधा नमक वाला भी पिलाता तो वो ठीक हो जाते लेकिन उनकी हालत ऐसे थी की मात्र दवा की बूंध ही अंदर जा सकती थी तो राजीव भाई ने वो पिलाया और धर्मपाल जी ठीक हुये !! कुल मिलकर कहने का अर्थ यही है कि आप इस अतिरिक्त आओडीन युक्त समुद्री नमक खाना छोड़िए और उसकी जगह सेंधा नमक खाइये !! सिर्फ आयोडीन के चक्कर में समुद्री नमक खाना समझदारी नहीं है, क्योंकि जैसा हमने ऊपर बताया आओडीन हर नमक मे होता है सेंधा नमक मे भी आओडीन होता है बस फर्क इतना है इस सेंधा नमक मे प्राकृतिक के द्वारा भगवान द्वारा बनाया आओडीन होता है इसके इलावा आओडीन हमें आलू, अरवी के साथ-साथ हरी सब्जियों से भी मिल जाता है। सेंधा नमक के उपयोग से रक्तचाप और बहुत ही गंभीर बीमारियों पर नियन्त्रण रहता है ।! क्योंकि ये अम्लीय नहीं ये क्षारीय है (alkaline ) !! क्षारीय चीज जब अमल मे मिलती है तो वो न्यूटल हो जाता है ! और रक्त अमलता खत्म होते ही शरीर के 48 रोग ठीक हो जाते हैं ! ये नामक शरीर मे पूरी तरह से घुलनशील है ! और सेंधा नमक की शुद्धता के कारण आप एक और बात से पहचान सकते हैं कि उपवास ,व्रत मे सब सेंधा नमक ही खाते है ! तो आप सोचिए जो समुंदरी नमक आपके उपवास को अपवित्र कर सकता है वो आपके शरीर के लिए कैसे लाभकारी हो सकता है ?? इसके अतिरिक्त सेंधा नमक शरीर मे 97 पोषक तत्वो की कमी को पूरा करता है ! इन पोषक तत्वो की कमी ना पूरी होने के कारण ही लकवे (paralysis ) का अटैक आने का सबसे बढ़ा जोखिम होता है ! जबकि समुद्री नमक से सिर्फ शरीर को 4 पोषक तत्व मिलते है ! और बीमारिया जरूर साथ मे मिल जाती है ! राजीव भाई तो यहाँ तक कहते है कि अगर आपके 2 बच्चे है तो एक बच्चे को 11 साल तक समुद्री नमक पर पाल के देखो और दूसरे को सेंधा नमक पर !! उनके शारीरिक और मानसिक परिवर्तन देख आपको खुद पर खुद अंदाजा हो जाएगा ! कि ये समुद्री नमक कितना हानिकारक है और सेंधा कितना फायदेमंद ! दुनिया के 56 देशों ने अतिरिक्त आओडीन युक्त नमक 40 साल पहले ban कर दिया अमेरिका मे नहीं है जर्मनी मे नहीं है फ्रांस मे नहीं ,डेन्मार्क मे नहीं , यही बेचा जा रहा है डेन्मार्क की सरकार ने 1956 मे आओडीन युक्त नमक बैन कर दिया क्यों ?? उनकी सरकार ने कहा हमने मे आओडीन युक्त नमक खिलाया !(1940 से 1956 तक ) अधिकांश लोग नपुंसक हो गए ! जनसंख्या इतनी कम हो गई कि देश के खत्म होने का खतरा हो गया ! उनके वैज्ञानिको ने कहा कि आओडीन युक्त नमक बंद करवाओ तो उन्होने बैन लगाया ! और शुरू के दिनो मे जब हमारे देश मे ये आओडीन का खेल शुरू हुआ इस देश के बेशर्म नेताओ ने कानून बना दिया कि बिना आओडीन युक्त नमक बिक नहीं सकता भारत मे !! वो कुछ समय पूर्व किसी ने कोर्ट मे मुकदमा दाखिल किया और ये बैन हटाया गया ! अंत आपके मन मे एक और सवाल आ सकता है कि ये सेंधा नमक बनता कैसे है ?? तो उत्तर ये है कि सेंधा नमक बनता नहीं है पहले से ही बना बनाया है !! पूरे उत्तर भारतीय उपमहाद्वीप में खनिज पत्थर के नमक को 'सेंधा नमक' या 'सैन्धव नमक' ,लाहोरी नमक आदि आदि नाम से जाना जाता है ! जिसका मतलब है 'सिंध या सिन्धु के इलाक़े से आया हुआ'। वहाँ नमक के बड़े बड़े पहाड़ है सुरंगे है !! वहाँ से ये नमक आता है ! मोटे मोटे टुकड़ो मे होता है आजकल पीसा हुआ भी आने लगा है यह ह्रदय के लिये उत्तम, दीपन और पाचन मे मददरूप, त्रिदोष शामक, शीतवीर्य अर्थात ठंडी तासीर वाला, पचने मे हल्का है । इससे पाचक रस बढ़्ते हैं। तों अंत आप ये समुद्री नमक के चक्कर से बाहर निकले ! काला नमक ,सेंधा नमक प्रयोग करे !! क्यूंकि ये प्रकर्ति का बनाया है ईश्वर का बनाया हुआ है !! और सदैव याद रखे इंसान जरूर शैतान हो सकता है लेकिन भगवान कभी शैतान नहीं होता !! आपने पूरी post पढ़ी बहुत बहुत धन्यवाद !! यहाँ जरूर click कर देखें !! अधिक से अधिक share करें !! http://www.youtube.com/watch?v=BzId8OHnNA0 अमर बलिदानी राजीव दीक्षित जी की जय ! — Do Not Eat iodine Salt.Exposed By Rajiv Dixit www.youtube.com conspiracy behind iodine salt.its very harmful for your health.Every Indian Must Watch Exposed By Rajiv Dixit

16 Jun 2014

INDIAN GOVERNMENT INTRODUCED ONLINE SERVICES

🔘 INDIAN GOVERNMENT INTRODUCED ONLINE SERVICES 🔘 

*Obtain:
1.  Birth Certificate
http://www.india.gov.in/howdo/howdoi.php?service=1

2.  Caste Certificate
http://www.india.gov.in/howdo/howdoi.php?service=4

3.  Tribe Certificate
http://www.india.gov.in/howdo/otherservice_details.php?service=8

4.  Domicile Certificate
http://www.india.gov.in/howdo/howdoi.php?service=5

5.  Driving Licence
http://www.india.gov.in/howdo/howdoi.php?service=6

6.  Marriage Certificate
http://www.india.gov.in/howdo/howdoi.php?service=3

7.  Death Certificate
http://www.india.gov.in/howdo/howdoi.php?service=2

Apply for:
1.    PAN Card
http://www.india.gov.in/howdo/otherservice_details.php?service=15

2.     TAN Card
http://www.india.gov.in/howdo/otherservice_details.php?service=3

3.     Ration Card
http://www.india.gov.in/howdo/howdoi.php?service=7

4.     Passport
http://www.india.gov.in/howdo/otherservice_details.php?service=2

5.     Inclusion of name in the Electoral Rolls
http://www.india.gov.in/howdo/howdoi.php?service=10

Register:  
1.    Land/Property
http://www.india.gov.in/howdo/howdoi.php?service=9

2.    Vehicle
http://www.india.gov.in/howdo/howdoi.php?service=13

3.    With State Employment Exchange
http://www.india.gov.in/howdo/howdoi.php?service=12

4.    As Employer
http://www.india.gov.in/howdo/otherservice_details.php?service=17

5.    Company
http://www.india.gov.in/howdo/otherservice_details.php?service=19

6.    .IN Domain
http://www.india.gov.in/howdo/otherservice_details.php?service=18

7.    GOV.IN Domain
http://www.india.gov.in/howdo/otherservice_details.php?service=25

Check/Track:
1.    Waiting list status for Central Government Housing
http://www.india.gov.in/howdo/otherservice_details.php?service=9

2.     Status of Stolen Vehicles
http://www.india.gov.in/howdo/otherservice_details.php?service=1

3.    Land Records
http://www.india.gov.in/landrecords/index.php

4.    Cause list of Indian Courts
http://www.india.gov.in/howdo/otherservice_details.php?service=7

5.    Court Judgments (JUDIS )
http://www.india.gov.in/howdo/otherservice_details.php?service=24

6.    Daily Court Orders/Case Status
http://www.india.gov.in/howdo/otherservice_details.php?service=21

7.    Acts of Indian Parliament
http://www.india.gov.in/howdo/otherservice_details.php?service=13

8.    Exam Results
http://www.india.gov.in/howdo/otherservice_details.php?service=16

9.    Speed Post Status
http://www.india.gov.in/howdo/otherservice_details.php?service=10

10. Agricultural Market Prices Online
http://www.india.gov.in/howdo/otherservice_details.php?service=6

Book/File/Lodge:
1.     Train Tickets Online
http://www.india.gov.in/howdo/otherservice_details.php?service=5

2.     Air Tickets Online
http://www.india.gov.in/howdo/otherservice_details.php?service=4

3.     Income Tax Returns
http://www.india.gov.in/howdo/otherservice_details.php?service=12

4.     Complaint with Central Vigilance Commission (CVC)
http://www.india.gov.in/howdo/otherservice_details.php?service=14

Contribute to:
1.      Prime Minister's Relief Fund
http://www.india.gov.in/howdo/otherservice_details.php?service=11

Others:
1.      Send Letters Electronically
http://www.india.gov.in/howdo/otherservice_details.php?service=20

Global Navigation  
1.     Citizens
http://www.india.gov.in/citizen.php

2.     Business (External website that opens in a new window)
http://business.gov.in/

3.     Overseas
http://www.india.gov.in/overseas.php

4.     Government
http://www.india.gov.in/govtphp

5.     Know India
http://www.india.gov.in/knowindia.php

6.     Sectors
http://www.india.gov.in/sector.php

7.     Directories
http://www.india.gov.in/directories.php

8.     Documents
http://www.india.gov.in/documents.php

9.     Forms
http://www.india.gov.in/forms/forms.php

10.    Acts
http://www.india.gov.in/govt/acts.php

11.  Rules
http://www.india.gov.in/govt/rules.php

हिन्दू देवी देवता कितने?

⛔ अधूरा ज्ञान खतरना होता है।

 33 करोड नहीँ 33 कोटि देवी देवता हैँ
     हिँदू धर्म मेँ।
  कोटि = प्रकार

देवभाषा संस्कृत में कोटि के दो
     अर्थ होते है,

   कोटि का मतलब प्रकार होता है
   और एक अर्थ करोड़ भी होता।

 हिन्दू धर्म का दुष्प्रचार करने के

लिए ये बात उडाई गयी की
हिन्दुओ के 33
  करोड़ देवी देवता हैं और

अब तो मुर्ख हिन्दू खुद ही
      गाते फिरते हैं की
    हमारे 33 करोड़ देवी देवता 
      हैं........

   कुल 33 प्रकार के देवी देवता हैँ
    हिँदू धर्म मेँ:

12 प्रकार हैँ आदित्य: , धाता, मित,
     आर्यमा,
शक्रा, वरुण, अँश, भाग, विवास्वान, पूष,
सविता, तवास्था, और विष्णु...!

  8 प्रकार हैँ
      वासु:, धर, ध्रुव, सोम, अह, अनिल, अनल, प्रत्युष
और प्रभाष।

  11 प्रकार हैँ- रुद्र: ,हर,
           बहुरुप, त्रयँबक,
  अपराजिता, बृषाकापि, शँभू,   कपार्दी,

रेवात, मृगव्याध, शर्वा, और कपाली। एवँ

  दो प्रकार हैँ
अश्विनी और कुमार।

कुल: 12+8+11+2=33

  अगर कभी भगवान् के आगे हाथ
    जोड़ा है
  तो इस जानकारी को अधिक से अधिक
लोगो तक पहुचाएं।.

ब्राह्यणत्व( bramhan)

ब्राह्मण धर्म - वेद
ब्राह्मण कर्म - गायत्री
ब्राह्मण जीवन - त्याग
ब्राह्मण मित्र - सुदामा
ब्राह्मण क्रोध - परशुराम
ब्राह्मण त्याग - ऋषि दधिची
ब्राह्मण राज - बाजीराव पेशवा
ब्राह्मण प्रतिज्ञा - चाणक्य
ब्राह्मण बलिदान - मंगल आजाद
ब्राह्मण भक्ति - रावण
ब्राह्मण ज्ञान - आदि गुरु शंकराचार्य
ब्राह्मण सुधारक - महर्षि दयानंद
ब्राह्मण राजनीतिज्ञ - कोटिल्य
ब्राह्मण विज्ञान - आर्यभट
ब्राह्मण गणितज्ञ - रामानुजम
ब्राह्मण खिलाड़ी - सचिन तेंदुलकर
कर्म से, धर्म से, दान से, ज्ञान से, विज्ञान से,
नाम से, जीवन से, मृत्यु से, भक्ति से, शक्ति से,
मुक्ति से, आत्मा से, परमात्मा से, मूल्यों से,
संस्कारो से, बल से, बुद्धि से, कौशल से, सम्मान से,
विश्वास से ब्राह्मण बनना शुरू करिए तभी अपने
पूर्वजो के किये गौरवशाली कार्यो पर आप गर्व
कर पायगे...
"ब्राह्मण महिमा"
ब्राह्मण:- ब्रह्मा के मुख से उत्पन्न सर्वोच्च वर्ण ।
१ ब्राह्मण का जन्म: भगवान् विष्णु का अंश अवतार।
२ ब्राह्मण की विद्या: ज्ञान का अथाह सागर ।
३ ब्राह्मण की बुद्धि : समस्त समस्याओं
का समाधान

४ ब्राह्मण की वाणी : वेद का ज्ञान ।
५ ब्राह्मण की शिक्षा : जीवन जीने की कला ।
६ ब्राह्मण की दृष्टी ; सम्भाव।
७ ब्राह्मण की शिखा: संकल्पों का समूह ।
८ ब्राह्मण की दया : संकटों का हरण ।
९ ब्राह्मण की कृपा : भवसागर तरने का साधन ।
१० ब्राह्मण का कर्म : सर्व जन हिताय ।
११ ब्राह्मण का निवास : देवालय ।
१२ ब्राह्मण के दर्शन : सर्वमंगल ।
१३ ब्राह्मण का आशीर्वाद : समस्त
सुखो की प्राप्ति ।
१४ ब्राह्मण की सेवा : परलोक सुधारना ।
१५ ब्राह्मण का वरदान: मोक्ष की प्राप्ति ।
१६ ब्राह्मण का अस्त्र : श्राप ।
१७ ब्राह्मण का शस्त्र : कलम ।
१८ ब्राह्मण को दान : सहस्त्रो पापो से मुक्ति ।
१९ ब्राह्मण को दक्षिणा : सात पीढ़ी का उद्धार

२० ब्राह्मण की संतुष्ठी: सभी भयो से मुक्ति ।
२१ ब्राह्मण की हुँकार:
राजा महाराजयों का चरणागत होना ।
२२ ब्राह्मण की गर्जना : सर्वभूतों का संहार ।
२३ ब्राह्मण का कोप : सर्वनाश ।
२४ सर्व ब्राह्मण की एकता : सर्व शक्तिमान ।
जय महाकाल .....जय परशुराम ...
Forward to all Brahmin nd Non-Brahmin Friends..Proud of Being  a Brahmin