25 Dec 2014

श्री हनुमान चालीसा

श्री हनुमान चालीसा श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुर सुधारीबरनौ  रघुबर  बिमल जसु, जो दायकू फल चारिबुध्दि हीन तनु जानिके सुमिरौ पवन कुमार |बल बुध्दि विद्या देहु मोंही , हरहु कलेश विकार ||             चोपाई जय हनुमान ज्ञान गुन सागर |जय कपीस तिहुं लोक उजागर ||राम दूत अतुलित बल धामा |अंजनी पुत्र पवन सुत नामा ||महाबीर बिक्रम बजरंगी|कुमति निवार सुमति के संगी ||कंचन बरन बिराज सुबेसा |कानन कुण्डल कुंचित केसा ||हाथ वज्र औ ध्वजा विराजे|काँधे मूंज जनेऊ साजे||संकर सुवन केसरी नंदन |तेज प्रताप महा जग बंदन||विद्यावान गुनी अति चातुर |राम काज करिबे को आतुर ||प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया |राम लखन सीता मन बसिया ||सुषम रूप धरी सियहि दिखावा |बिकट रूप धरी लंक जरावा ||भीम रूप धरी असुर संहारे |रामचंद्र के काज संवारे ||लाय संजीवन लखन जियाये |श्रीरघुवीर हरषि उर लाये ||रघुपति कीन्हीं बहुत बड़ाई |तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई ||सहस बदन तुम्हरो जस गावे |अस कही श्रीपति कंड लगावे ||सनकादिक ब्रह्मादी मुनीसा|नारद सारद सहित अहीसा ||जम कुबेर दिगपाल जहा ते|कबि कोबिद कही सके कहा ते||तुम उपकार सुग्रीवहीं कीन्हा |राम मिलाय रज पद दीन्हा ||तुम्हरो मंत्र विभेक्षण माना |लंकेश्वर भए सब जग जाना ||जुग सहस्र योजन पर भानू |लील्यो ताहि मधुर फल जाणू ||प्रभु मुद्रिका मेली मुख माहीं|जलधि लांघी गए अचरज नाहीं||दुर्गम काज जगत के जेते |सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते ||राम दुआरे तुम रखवारे |होत न आग्यां बिनु पैसारे ||सब सुख लहै तुम्हारी सरना |तुम रक्षक काहू को डरना ||आपण तेज सम्हारो आपे |तीनों लोक हांक ते  काँपे ||भुत पिसाच निकट नहिं आवो |महावीर जब नाम सुनावे ||नासौ रोग हरे सब पीरा |जपत निरंतर हनुमत बीरा ||संकट से हनुमान छुडावे |मन क्रम बचन ध्यान जो लावै||सब पर राम तपस्वी राजा |तिन के काज सकल तुम साजा ||और मनोरथ जो कोई लावे |सोई अमित जीवन फल पावे ||चारों जुग प्रताप तुम्हारा |है प्रसिद्ध जगत उजियारा ||साधु संत के तुम रखवारे |असुर निकंदन राम दुलारे ||अष्ट सिद्धि नौनिधि के दाता |अस बर दीन जानकी माता ||राम रसायन तुम्हरे पासा |सदा रहो रघुपति के दासा ||तुम्हरे भजन राम को पावे |जनम जनम के दुःख बिस्रावे ||अंत काल रघुबर पुर जाई |जहा जनम हरी भक्त कहाई ||और देवता चित्त न धरई |हनुमत सेई  सर्व सुख करई||संकट कटे मिटे सब पीरा |जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ||जय जय जय हनुमान गोसाई |कृपा करहु गुरु देव के नाइ ||जो सत बार पाट कर कोई |छूटही  बंदी महा सुख होई ||जो यहे पड़े हनुमान चालीसा |होय सिद्धि साखी गौरीसा ||तुलसीदास सदा हरी चेरा |कीजै नाथ हृदये मह डेरा ||                   दोहापवन तनय संकट हरन, मंगल मूर्ति रूप  |राम  लखन  सीता  सहित , ह्रुदय बसहु सुर भूप ll

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