3 Feb 2018

आज़ादी

*कभी सोचा आपने 30 साल बाद आपकी सम्पति का कौन मालिक होगा ?*
याद रखना, आबादी बढ़ते तुम्हारा राष्ट्र मुस्लिम राष्ट्र हो जायेगा! ऐसा हो चूका है और अभी भी हो रहा है! एक दिन पूरे *काबूल* (अफगानिस्तान) का व्यापार सिक्खों के हाथ था, आज उस पर तालिबानों का कब्ज़ा है!

सत्तर वर्ष पहले पूरा *सिंध* सिंधियों का था, आज उनकी पूरी धन संपत्ति पर पाकिस्तानियों का कब्ज़ा है!

एक दिन पूरा *कश्मीर* धन धान्य और एश्वर्य से पूर्ण पण्डितों का था, उनके उन महलों और झीलों पर आतंक का कब्ज़ा हो गया और आज वे टेंटों में ज़िंदगी गुजार रहे हैं!

एक दिन वो था जब *ढाका* का हिंदू बंगाली पूरी दुनिया में जूट का सबसे बड़ा कारोबारी था! आज उसके हाथ क्या है ?

*गुरु नानक का ननकाना साहब, लवकुश का लाहौर, दाहिर का सिंध, चाणक्य का तक्षशिला, ढाकेश्वरी माता का मंदिर देखते ही देखते सब पराये हो गए !*

पाँच नदियों से बने *पंजाब* में अब केवल दो ही नदियाँ बची हैं!
इस देश के मूल समाज की सारी समस्याओं की जड़ ही संगठन का अभाव है!

कोई व्यापारी *असम* के चाय के बागान अपना समझ रहा है, कोई *आंध्र* की खदानें अपनी मान रहा है! तो कोई सोच रहा है ये हीरे का व्यापार सदा सर्वदा उसी का रहेगा !

कभी *कश्मीर* की केसर की क्यारियों के बारे में भी हिंदू यही सोचा करता था!

हिन्दू अपने घर भरता रहा और *"पूर्वांचल"* का लगभग पचहत्तर प्रतिशत जनजाति समाज विधर्मी हो गया ! बहुत कमाया तूने बस्तर के जंगलों से, आज वहाँ घुस भी नहीं सकता !

*आज भी आधे से ज्यादा समाज को तो ये भी समझ नहीं कि उस पर क्या संकट आने वाला है ! बचे हुए समाज में से बहुत सा अपने आप को सेकुलर मानता है !*

*आजादी के बाद एक बार फिर हिंदू समाज दोराहे पर खड़ा है!*
एक रास्ता है, शुतुरमुर्ग की तरह आसन्न संकट को अनदेखा कर रेत में गर्दन गाड़ लेना तथा *दूसरा तमाम संकटों को भांपकर सारे मतभेद भुला कर संगठित हो संघर्ष कर अपनी धरती और संस्कृति बचाना ।

"हमारी दुर्दशा का कारण केवल अज्ञान और पाखण्ड है । समय रहते यह देश यदि वेदमार्ग को अपना लेता है तो हमारा कोई बाल भी बांका न कर पायेगा । वर्तमान में सत्यार्थ प्रकाश के अलावा और कोई ऐसी पुस्तक नही जो हमारी जाति की ठंडी रगों में उष्ण रक्त का संचार कर सके ।" - वीर सावरकर

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