6 May 2020

कंप्यूटर का इतिहास और विकास

कंप्यूटर का इतिहास और विकास कैसे हुआ?
कंप्यूटर का इतिहास और विकास
Computers और electronics ने अभी के society में एक बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है, जहाँ इसने communication से लेकर medicine, वहीँ science और technology तक सभी में अपना impact बखूबी किया हुआ है. इसलिए अगर कंप्यूटर का इतिहास को जानना है तब हमें इसके सभी प्रारंभिक developments को गौर से देखना होगा, कहीं तभी जाकर हम इसे ठीक तरीके से समझ सकते हैं.

जहाँ computers को एक modern invention के तोर पर देखा जाता है जिसमें की electronics, computing का इस्तमाल हुआ है electrical devices के साथ. वहीँ लेकिन अगर पहला computing device की बात की जाये तब जरुर से इसका जवाब ancient abacus ही होने वाला है.

Analog computing को करीब हजारों वर्षों से इस्तमाल किया जा रहा है हमारे computing devices के तोर पर, वहीँ ancient Greeks और Romans ने सबसे popular Antikythera mechanism का इस्तमाल किया था.

वहीं बाद में devices जैसे की castle clock (1206), slide rule (c. 1624) और Babbage’s Difference Engine (1822) ऐसे ही कुछ उदाहरण हैं इन early mechanical analog computers के.

इसके बाद electrical power के आ जाने से 19th-century में. नए electrical और hybrid electro-mechanical devices की development शुरू हो गयी जो की दोनों digital (Hollerith punch-card machine) और analog (Bush’s differential analyzer) calculation करने में सक्षम थे.

Telephone switching फिर इसके बाद आई, जिसके आने से machines के development होना चालू हो गया और इन्हें की हम early computers के तोर पर जानते हैं.

वहीँ Edison Effect के presentation के बाद सन 1885 में, इसने एक theoretical background प्रदान की electronic devices के लिए. वहीँ Originally, vacuum tubes के form में, electronic components के आते ही उन्होंने बहुत ही जल्द electric devices के साथ integrate होकर, पहले radio और बाद में television को revolutionize कर दिया.

ये computers ही थे, जहाँ की इन electronics का full impact देखने को मिलता है. Analog computers जिनका इस्तमाल ballistics को calculate करने के लिए होता है, वो बहुत ही crucial हो गए World War II के outcome के लिए, और इसी कारण ही Colossus और ENIAC, दो earliest electronic digital computers को develop किया गया था युद्ध के समय में ही.

Solid-state electronics के invention के साथ transistor और फिर बाद में ultimately integrated circuit के आने से, computers अब ज्यादा छोटे, compact, portable और यहाँ तक की affordable बन गए हैं एक average consumer के लिए. आजकर तो “computers” हमारे रहन सहन के बहुत ही नजदीक हैं फिर चाहे वो watches हो या फिर automobiles हो.

कंप्यूटर का इतिहास (History of Computer in Hindi)

कंप्यूटर का इतिहास एवं विकास
क्या आपको पता है कंप्यूटर का इतिहास कितना पुराना है? यदि आपको कम्प्यूटर की इतिहास के विषय में जानना है तब आपको पहले जानना होगा की बड़े numbers को इन्सान कैसे हिसाब करता था. छोटे संख्या को तो आसानी से हाथों का इस्तमाल कर हिसाब किया जा सकता है लेकिन जब बात बड़े संख्या की आती है तब ऐसे में उन्हें बड़ी तकलीफ हुई और उन्होंने नयी नहीं systems का इजात किया जो की उन्हें इसमें मदद करती थी.

हिसाब करने की इस प्रक्रिया में बहुत से systems of numeration का इस्तमाल किया जाता है जैसे की Babylonian system of numeration, Greek system of numeration, Roman system of numeration और Indian system of numeration.

इनमें से सबसे ज्यादा और universally जिसे माना गया वो है Indian system of numeration. ये आधारित है modern decimal system of numeration की जो की होती हैं (0, 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9). जैसे की हम जानते हैं की computer decimal system को समझ नहीं सकती है और इसलिए ये binary system of numeration का इस्तमाल करती है processing के लिए.

अब चलिए कुछ ऐसे ही computing devices के विषय में discuss करते हैं जिनकी इस दिशा में बड़ी योगदान है.

Calculating Machines
हमारे पूर्वजों को करीब हजारों वर्ष लग गए ऐसे mechanical devices बनाने में जिससे की बड़े numbers को count किया जा सके.

Abacus
इस श्रृंखला में सबसे पहला calculating device है ABACUS. इसे develop किया था Egyptian और Chinese लोगों ने. ABACUS का मतलब है calculating board. इसमें sticks होते हैं horizontal positions में जिसमें की छोटे छोटे आकार के pebbles को insert किया जाता है.

इसमें बहुत से horizontal bars होते हैं जिसमें प्रत्येक में ten beads होते हैं. Horizontal bars represent करती है units, tens, hundreds, इत्यादि.

Napier’s Bones
इसे develop किया था English mathematician John Napier सन 1617 AD में. यह एक ऐसा mechanical device है जिसे की multiplication के उद्देश्य से बनाया गया था. इसे कहा जाता है Napier’s bones वो उन वैज्ञानिक के नाम के बाद.

Slide Rule
English mathematician Edmund Gunter ने इस slide rule को develop किया था. यह machine बड़ी ही आसानी से बहुत से operation perform कर सकता है जैसे की addition, subtraction, multiplication, और division. इसे 16th century में पुरे Europe में बहुत ज्यादा इस्तमाल में लाया गया.

ADDING MACHINE– BLAISE (1642 A.D)
PASCAL– PRANCE
उस समय के प्रसिद्ध French Scientist और Mathematician, Blaise Pascal ने इस machine को invent किया था जो की उस समय में केवल 19 वर्षों के ही थे. यह machine आसानी से digits को add कर सकती थी वो भी carry करने के साथ automatically.

उनकी यह machine इतनी ज्यादा revolutionary थी की इसकी principle को आज भी बहुत से machanical counters में इस्तमाल किया जाता है.

MULTIPLYING MACHINE- COTTFRIED LEIBNITZ- GERMANY (1692 A.D)
Gottfried ने Pascal की machine को और ज्यादा improve किया और उन्होंने ऐसी mechanism की इजात की जो की numbers की automatic multiplication करने में सक्षम था.

फिर Leibnita भी और ज्यादा प्रसिद्ध हुए उनके काम के लिए Sir Isaac Newton के साथ, जिसमें उन्होंने एक नयी branch की Mathematics को ही develop कर दिया, जिसे हम आज Calculus के नाम से जानते हैं.

उन्होंने ही calculator को invent किया था, जो की आसानी से add, subtract, multiply and divide accurately कर सकता था. वहीँ ये square root function भी करने में सक्षम था.

EARLY 1800’S JACQUARD LOOM – JOSEPH MARIE JACQUARD
वहीँ early eighteenth century में, एक French weaver Joseph Marie Jacquard ने एक ऐसा programmable loom develop किया, जजों की large cards और holes का इस्तमाल करता था, फिर उन्हें punch करता था वो भी बहुत ही control के साथ जिससे की अंत में एक pattern automatically बनकर तैयार होता था.

इसमें जो output बनकर तैयार होता था वो एक thick rich cloth होता था जिसमें की repetitive oral या geometric patterns होते थे.

Jacquard patterns को अब भी इस्तमाल में लाया जाता है. वहीँ दूसरों ने punched cards को adapt कर लिया इस्तमाल करने लगे primary form of input के तोर पर.

DIFFERENCE ENGINE– CHARLES BABBAGE– ENGLAND (1813 A.D)
वहीँ early 19th century की शुरुवाती दौर में, Charles Babbage, जो की एक Englishman, Scientist थे, उन्होंने एक ऐसी machine के development के पीछे काम किया जो की बड़ी आसानी से complex calculations perform कर सकता था.

सन 1813 A.D.में उन्होंने इस ‘Difference Engine’ का invention किया जो की बहुत ही complex calculations को perform कर सकती थी और साथ में उसे print भी कर सकती थी. यह machine एक steam-powered machine था.

कम्प्यूटर की इतिहास हिंदी में – 19th Century
इस modern समय के Computer के इतिहास के विषय में जानते हैं जिसका development 19th century के समय में हुआ था. कुछ के विषय में मैंने पहले ही बता दिया है.

Jacquard Loom

Jacquard Loom
इसमें metal cards का इस्तमाल होता हिया punched holes के साथ जो की guide करता है weaving process को
यह first stored program था – metal cards में
यह एक पहला computer manufacturing unit भी था
इसका इस्तमाल आज भी बहुत जगह में होता है
Difference Engine c.1822

Difference Engine c.1822
यह एक बहुत ही बड़ा calculator था, जो की कभी भी पूर्ण नहीं हो सका
इसके पीछे Charles Babbage(1792-1871) का बड़ा हाथ था
Analytical Engine 1833

Analytical Engine 1833
यह machine numbers को store करने में सक्षम थी
इसके calculating प्रक्रिया के लिए punched metal cards का इस्तमाल होता था instructions देने के लिय
ये एक steam-powered machine था
ये accurately six decimal places तक calculate कर सकता था
Ada Augusta – दुनिया के पहले Programmer थे
उन्होंने Charles Babbage के साथ काम किया हुआ था
उन्होंने Analytical Engine को भी programmed किया था
Vacuum Tubes – (1930 – 1950s)
First Generation Electronic Computers में Vacuum Tubes का इस्तमाल हुआ था
Vacuum tubes असल में glass tubes होते हैं जिनकी circuits iउनके भीतर ही होती है.
Vacuum tubes के भीतर कोई भी air नहीं होती है, जो की इसकी circuitry की रक्षा करती है.
UNIVAC – 1951

UNIVAC – 1951
यह पहला commercially available computer
इसे बेचा गया था censu bureau को
“एक बहुत ही बड़ा pocket calculator था “
ये सन 1970 तक एक standard computer ही था, लेकिन इसकी कीमत बहुत ही ज्यादा थी
पहला Computer Bug – 1945
यह cards को relay कर सकता था जो की information carry करती हैं
Grace Hopper ने ही पहले एक actual moth (कीड़ा) को उस card में लगे हुए पाया , जिसके कारण ही card इस प्रकार से malfunction का रहा था
इसलिए उस समय से ही computer में “debugging” शब्द का इस्तमाल होने लगा
पहला Transistor
ये Silicon का इस्तमाल करता था
इस सन 1948 में develop किया गया था
जिसके लिए इसके inventor को Nobel prize भी मिला
इसमें on-off switch होता है
फिर Second Generation Computers ने इन Transistors का इस्तमाल किया, सन 1956 से.
Integrated Circuits
इन Integrated Circuits (chips) का इस्तमाल Third Generation Computers में हुआ था.
Integrated Circuits असल में transistors, resistors, और capacitors का समाहार होता है जिन्हें की एक साथ integrate किया जाता है एक single “chip” में.
कंप्यूटर का विकास कब हुआ
जैसे जैसे नयी counting technologies का इजात हुआ, वैसे वैसे नयी नयी calculating mechanical devices का भी जन्म हुआ. वैज्ञानिकों ने अपने research के द्वारा ऐसी devices को invent किया जो की हमारे complex calculations को बड़ी ही आसानी से solve कर सकते थे. अब चलिए हम personal computers में हो रहे development के विषय में जानते हैं.

Personal Computers का जन्म हुआ
अब चलिए जानते हैं की Personal Computers का इतिहास क्या है और कौन से computers से इसकी शुरुवात हुई.

Kenbak I – 1971

Kenbak I
ये सबसे primitive थी, जिसमें केवल flashing lights और buttons थी
इसकी कीमत केवल $750 ही थी
MITS Altair – 1975

MITS Altair – 1975
256-byte memory
2 MHz Intel 8080 chips
ये केवल एक box था flashing lights के साथ
इसकी kit की कीमत $395 थी, वहीँ इसे assemble कर देने के बाद ये कीमत हो जाती थी $495
पहला Microprocessor – 1971

Intel 4004
Intel 4004 में 2,250 transistors था
four-bit chunks (four 1’s or 0’s)
108Khz
0.6 Mips (million instructions/sec)
Pentium 133 – 300 Mips
इन्हें ही “Microchip” कहा गया
Electronic Computers की Generations
चलिए अब Electronics Computers के Generation के विषय में जानते हैं.

Generation First Generation I Second Gen II Third Gen III Fourth Gen IV
Technology Vacuum Tubes Transistors Integrated Circuits (multiple transistors) Microchips (millions of transistors)
Size Filled Whole Buildings Filled half a room Smaller Tiny – Palm Pilot is as powerful as old building-sized computer
कंप्यूटर का इतिहास भारत में
अगर हम भारत के computer technologies की development बात करें तब ये केवल तभी मुमकिन हो पाया जब दो major forces Political administration, Government policy advisers bureaucrats और technocrats ने एक साथ मिलकर काम करने का तय किया. चलिए अब हम भारत के computer evolution को अलग अलग phases में बांटकर देखते हैं.

Phase I
Computer Technologies का इतिहास भारत में शुरू हुआ सन 1950 से. पहला administration जिन्होंने की भारत में एक digital computer बनाने के शुरुवात की वो बनी R Narasimhan के leadership के अंतर्गत, Tata Institute of Fundamental Research (TIFR), Bombay में.

ये TIFRAC (TIFR Automatic Computer) को start किया गया था सन 1955 में और वहीँ इसे complete कर दिया गया सन 1959 में. TIFRAC आसानी से process कर सकता था upto 2048 word अपनी memory (40-bit word, 15 microsecond cycle time) में और वहीँ एक display output के तोर पर Cathode ray tube का इस्तमाल किया गया था.

TIFRAC को इसलिए design किया गया था क्यूंकि इसके इस्तमाल से TIFR और Atomic Energy establishment के physics problems को solve करने में मदद होती थी. वहीँ इसके मदद से भारत आगे बड़े ही effectively computers को build और design कर सकता था.

वहीँ सन 1960’s के दौरान पूरी दुनिया में non-foreign exchange outflow की पहल हो गयी थी computer industry में. लेकिन फिर भी IBM और British Tabulation machines (जिसका नाम बाद में ICL रखा गया) को establish किया गया, जो की उस समय भारत में Mechanical accounting machines बेच रहे थे.

IBM और ICL को licenses और agreements issue किये गए जिससे की वो भारत में computer manufacturing plant बना सकें, वहीँ IBM ने फिर punch card machines बनाना शुरू भी कर दिया और उन्हें बाहर के देशों में export किया जाने लगा.

Phase II
फिर सन 1970 में Department of Electronics को establish किया गया जिसका मूल उद्देश्य था की कैसे Electronics Technologies को enhance किया जा सके और जो की बाद में PSU company ECIL के computer division को establish करने में भी सहायक हुआ. (Electronics Corporation of India Limited).

ECIL ने design किया TDC-12 को जो की एक 12 bit real time minicomputer था और जिसे बाद में upgrade किया गया TDC-312 में, वहीँ बाद में TDC-316 में भी जो की एक 16 bit computer था जिसे सन 1975 में built किया गया था.

वहीँ वर्ष 1978 में ECIL ने MICRO-78 system को बनाया जो की purely based था microprocessor के ऊपर. ECIL ने वर्ष 1971 से 1978 तक करीब 98 computers की संरचना की जिन्हें की उन्होंने government laboratories को बेचा अलग अलग universities के research के लिए.

वहीँ ECIL का एक major contribution था जब उन्होंने Indian Air Force को प्रदान किया Air Defense Ground Environment Systems.

सन 1978 में minicomputer policy को बनाया गया जिससे IBM भारत से बाहर चला गया और इससे नए technical entrepreneurs को अवसर मिला अपने manufacturing units की स्थापना करने के लिए, जैसे की WIPRO और HCL. ये companies अभी तक भी पुरे दुनिया में अपना नाम रोशन कर रहे हैं.

Phase III
सन 1984 में जब Rajiv Gandhi भारत के Prime Minister बने, एक liberalized policy बनाया गया minicomputers के ऊपर जो की allow करता था private sector companies को computers manufacture करने में. उसी साल में private sector companies को allow किया गया unlimited 32-bit machines manufacture करने के लिए.

Private sector companies ने इसके साथ manufacture किया assembled boards microprocessors और interface electronics के साथ जिन्हें की उन्होंने import किया application software के साथ, जिसमें की कम imported duty लगती थी.

Liberalization policy के कारण computers का growth 100% तक बढ़ गया और वहीँ इसके कीमत में करीब 50% की कमी हुई.

Indian Railway’s Seat Reservation System की पूरी तरह से computerization शुरू हुआ सन 1984 में और वहीँ ये ख़त्म हुआ सन 1986 में. वहीँ Seat Reservation System की entire software को Indian programmers के द्वारा ही बनाया गया था बिना किसी foreign advisers के मदद से.

Phase IV
सन 1991 में भारत के ऊपर एक बहुत ही बड़ा financial crisis आ पड़ा, इससे बचने के लिए World Bank ने India को उसके external debt और trading (import और export) के ऊपर कुछ conditions लागु किये जिसके चलते Indian government को बाध्य होकर अपने economy को liberalize करना पड़ा.

सन 1990-1991 में Indian software companies ने earn करना चालू किया software को export कर, जिसकी estimated value US$125 million थी. वहीँ Earning की भी exponentially increase हुई जो की US$ 1.70 billion से ज्यादा थी सन 1997-98 के दौरान.

Indian software companies ने अपने लिए standardized way तय कर लिए थे Industry में काम करने के लिए. Indian software companies ने invent किया GDM (Global Delivery Model) और जिसके लिए उन्होंने 24-hour working hours की संरचना की IT industry के लिए. इसलिए ही पुरे विश्व में भारत को IT Industry का प्रमुख माना जाता है.

कंप्यूटर के विकास का संक्षिप्त इतिहास
मुझे उम्मीद है की आपको मेरी यह लेख कंप्यूटर का इतिहास (History of Computer in Hindi) जरुर पसंद आई होगी. मेरी हमेशा से यही कोशिश रहती है की readers को कंप्यूटर के विकास का इतिहास के विषय में पूरी जानकारी प्रदान की जाये जिससे उन्हें किसी दुसरे sites या internet में उस article के सन्दर्भ में खोजने की जरुरत ही नहीं है. इससे उनकी समय की बचत भी होगी और एक ही जगह में उन्हें सभी information भी मिल जायेंगे.

यदि आपके मन में इस article को लेकर कोई भी doubts हैं या आप चाहते हैं की इसमें कुछ सुधार होनी चाहिए तब इसके लिए आप नीच comments लिख सकते हैं.

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वैज्ञानिकों ने किया आगाह, कोरोना का बदला रूप पहले से ज्यादा खतरनाक

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